भारत विश्व में खेती प्रधान देश है , और भारत में विविध क्षेत्र में उत्कृस्ट योगदान के लिए भारत सरकार पद्म श्री , पद्म भूषण , पद्म विभूषण और भारत रत्न जैसे पुरस्कार देती है | और भारत सरकार ये पुरस्कार ऐसे लोगो को देती है जीन्होने इस देश में या देश के लिए कुछ नया किया हो , आज एक ऐसे ही किसान है जो कृषि व्यवसाय करके ये मुकाम हांसिल किया है |
किसान सेठपाल सिंह
उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर जिले में नंदी फिरोजपुर गांव के रेहने वाले शेठपाल सिंह अपने परिवार के साथ खेती कर रहे है , और सेठपाल के पास 40 एकर जमीन है | पहले से ही वे पारंपरिक खेती कर रहे है , लेकिन सन 1995 में शेठपाल ने कुछ नया करनेका फैसला किया | जिसके लिए उन्होंने सराहनपुर जिले में कृषि विज्ञान केंद (KVK) में जाना शुरू किया , जहा उन्होंने कृषि विज्ञान के बारे में विभिन्न विभिन्न क्षेत्र में जानना शुरू किया , और कुछ साल बाद शेठपाल कृषि के प्रयोगो और विधिकरण के विशेषज्ञ बन गए |
विभिन्न प्रकार फसल की खेती
प्रारंभ में शेठपाल सिंह ने फल , फूल और सब्जियों जैसी फसलों को उगाना शुरू किया , फिर उन्होंने (KVK) में परिक्षण और कार्यक्षेत्र के बाद उनकी रूचि बढ़ी , और पशुपाल , सब्जी जैसी फसल उगाना शुरू किया | धीरे धीरे शेठपाल अपनी खेत में कमल , फूल और मशरूम भी उगाने लगे |
शेठपाल ने अंतरफसल के तरीको को अपनाया और अपने क्षेत्र में किसानो के लिए बहोत कुछ किया , एक साल के बाद वो एक के बाद एक सब्जी , गन्ना , फूल , फ्रेंच बीन्स , उड़द , मग , प्यास , सॉफ , आलू , सरसो , दाल , हल्दी और कही तरह की फसल उगाने लगे , शेठपाल ये खेती ऑर्गेनिक आधार पे करते है |
शेठपाल की खेती की अलग विचार धारा
शेठपाल की विशेष बात ये है की वे , कृषि क्षेत्र में कुछ न कुछ नया नया करते रहते है और बिना डरे अपनी खेत में नयी नयी तरह की फसल उगाते रेह्ते है | उन्हों ने बिना तालाव अपने खेत में लिली उगाई है और काफी मुनाफा किया है , शेठपाल सिह अपनी फसल का अस्तबल नहीं जलाते और यही कारण है की खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं रहती है | उन्हों ने अपने खेत में वर्मी कम्पोस्टिंग और NADEP कम्पोस्टिंग तकनीक स्थापित की है | और वे इसी तकनीक के सहारे हर साल 4 लाख रु एकर के हिसाब से कमाते है |
शेठपाल पद्म भूषण पुरस्कारसे सन्मानित होंगे
शेठपाल सिह को उनके नए नए फसल उगाने के तजुर्बे से अभिनव प्रयोगो के लिए पहले भी राष्ट्रिय स्तर पर पुरस्कार से सन्मानित किया जा चूका है | 2012 में ICAR की तरफ से जगजीवन राम अभिनव किसान अवॉर्ड और 2014 में 2020 में प्रतिष्ठित संस्था की तरफ से अन्य पुरस्कार से सन्मानित है |
लेकिन भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड देने के काबिल समजा , और उन्हें पद्मश्री मिलने की खबर गांव पहोची तो वे ख़ुशी से जूम उठे | और इस बात पर उन्हों ने कहा की ‘ मैंने न केवल उन्नत खेती की है बल्कि अन्य किसानो में भी जागृत किया है ‘ ये मेरी जिंदगी का सबसे ख़ुशी का दिन होगा |