होलिका का दहन क्यों किया जाता है ? | Holika Dahan History

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होलिका का दहन क्यों किया जाता है ? | Holika Dahan History

हम सभी भारत वासी हर साल होली दहन का त्यौहार मनाते है | लेकिन होलिका का दहन क्यों किया जाता है? उसके बारे में विस्तार से जानते है |

त्रेता युग में एक महान तपस्वी और एक ताकतवर दानव राजा था , जिसका नाम था हिरण्यकश्यप | और उनकी एक बहन थी , जिसका नाम था होलिका | हिरण्यकश्यप ने भगवान की कठोर तपस्या की और भगवान् ब्रह्माजी प्रगट हुवे और वर मांगने को कहा |

हिरण्यकश्यप ने ऐसा वर माँगा की हे प्रभु मुझे ऐसा वर दीजिये की मेरी मृत्यु हि ना हो , ना में दिन में मरू ना में रत में मरू , ना में नर से मरू ना में पशु से मरू , ना में खाते मरू ना में पीते मरू , आ में अस्त्र से मरू ना में शस्त्र से मरू , ना में सोते मरू ना में जागते मरू , ना में देवो से मरू ना में दानवोंसे मरू हे प्रभु मेरी मृत्यु किसीसे ना हो , ब्रह्माजीने कहा तथास्तु |

हिरण्यकश्यप को मारना लगभग असंभव था, इसलिए हिरण्यकश्यप अभिमारी और अत्याचारी हो गया | वे पृथ्वी लोक में कहने लगा की में ही भगवान् हु , आज से सभी लोग मेरी ही पूजा करेंगे | उसने भगवान की पूजा बंद करवाके अपनी पूजा शुरू करवाई , अब पृथ्वी लोक में हाहाकार मच गया और उसका पाप बढ़ने लगा |

हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम था प्रह्लाद , बचपन से ही प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था , और हिरण्यकश्यप भगवान् विष्णु का कट्टर दुश्मन , हिरण्यकश्यप ने कही बार प्रह्लाद को समझाया की ये पृथवी लोक में मेही भगवान् हु , सभी लोक मेरी ही पूजा करते है | प्रह्लाद को कही बार कही प्रलोभन देकर समझाया लेकिन प्रह्लाद भगवान् विष्णु की भक्ति में ही लीन रहता था |

हिरण्यकश्यप ने कही बार प्रह्लाद को मारने का प्रयत्न किया लेकिन ईश्वर क्रिपा से वो बार बार जीवित रह जाता था | फिर हिरण्यकश्यप ने उसकी बहन होलिका को ये बात बताई , होलिका ने कहा महाराज आप प्रह्लाद को मुझे सोप दीजिये | मुझे भगवन ब्रह्माजी का वरदान है की में अग्निमे नहीं जलूँगी | में अग्नि चीता में प्रह्लाद को गोदमे लिए बेठुंगी और को अग्नि में ही प्रह्लाद को भस्म करदूंगी |

ये बात सारे राज में फेल गई , दूसरे दिन बड़ी चीता बनाई होलिका प्रह्लाद को गोद में लिए बैठ गई और अग्नि परीक्षा का आदेश दिया | अग्नि ने प्रकट होते ही धीरे धीरे विकराल रूप ले लिया , प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में ही लीन था , कुछ देर बार होलिका चिल्लाने लगी की में जल रही हु में जल रही हु मुझे बचाओ और उसने भगवान ब्रह्माजी का स्मरण किया और कहा मुझे अग्नि में नहीं जलने का अपने वरदान दिया था |

ब्रह्माजी प्रकट हुवे और कहा हे होलिका मेने ये शक्ति तुम्हे अपनी रक्षा और समाज कल्याण हेतु दिया था | लेकिन तूने इसका दूर उपयोग किया इसलिए ये तुम्हे ये शक्ति कोई काम नहीं आएगी | अंत में होलिका अग्नि में भस्म हो गई और प्रह्लाद की जय जय कार हुई | और आशूरी शक्ति का नाश हो गया |

तभी से ये तिथि के दिन हमारी पौराणिक कथा और परंपरा के अनुशार हम सभी देशवासी होलिका दहन करते है | और मान्यता अनुशार हमारे घर में से होली को बहार निकालते है |

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