एक ऐसा मंदिर जहां खुद से देवी करती है अग्नि स्नान – Idana Mata Ki History

0
245
Idana Temple history

हमारे देश में ऐसे चमत्कारी मंदिर है जिन्हे देख के आप यकीन नहीं करोगे  | कही मंदिर में खम्भे हवामे जुलते है तो कही मंदिर के दीपक पानी से जलते है | वैसे तो आपने बहोत चमत्कारी मंदिर और स्थलों के बरो में सुना होगा | लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर दिखने जा रहे है | जिस मंदिर में देवी माँ खुद ही अग्नि स्नान करती है |  |

ये मंदिर उदयपुर से लगभग ६० किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है |

ये मंदिर राजस्थान के ईडाणा माता मंदिर के नामसे जाना जाता है | यहाँ पर माता के चमत्कार की महिमा बहुत ही निराली है | जिसे जेखने दूर दूर से श्रद्धालु यहाँ आते है | माँ का ये दरबार बिलकुल खुल्ले एक चौक में स्थित है | कहा जाता है इस मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर की महारानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ | और ये भी कहा जाता है की ये मंदिर ६०० साल से भी पुराना है |

इस मंदिर में भक्तो की खास आस्था है | ये भी मान्यता है की लकवाग्रस्त यहाँ माँ के दरबार में आकर ठीक होकर जाता है |

इस मंदिर की हैरान करने वाली बात ये है की माँ की प्रतिमा से महीने दो महीने में दो से तीन बार अग्नि अपने आप प्रजलित हो जाती है | इस अग्नि स्नान में माँ की सम्पूर्ण चढ़ाई गयी चुनरिया ,धागे भस्म हो जाते है और इसे देखने के लिए भक्तो का इस मंदिर में मेला लगा रहेता है | लेकिन बात करे अग्नि की तो आज तक कोई जान नहीं पाया की माँ की प्रतिमा से अग्नि कैसे प्रजलित होती है और नहीं तो आज तक किसी ने देखा है |

ईडाणा माता के मंदिर में अग्नि प्रजलित होते ही आसपास के गावो से बड़ी संख्यामे श्रद्धालुओ की भीड़ दर्शन करने के लिए जमा हो जाती है | खास करके नवरात्री के दिन भक्तो की भीड़ बहोत बढ़ जाती है |

मंदिर के पुजारी के कहने अनुसार ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर  लेती है और ये अग्नि धीरे धीरे विकराल रूप धारण कर लेती है और इसकी लपेट १० से २० फिट तक पहुंच जाती है | लेकिन ये अग्नि के पीछे खास बात ये है की आज तक श्रृंगार के अलावा किसी अन्य चीज़ को कोई भी आंच नहीं आती |

भक्तगण इसे देवी माता के अग्नि स्नान कहते है  और इसी अग्नि स्नान के कारन आज तक यहाँ मंदिर नहीं  बन पाया |

ऐसी भी मान्यता है की जो भक्त इस अग्नि स्नान का दर्शन करते है इनकी हर मनोकामना पूरी होती है | यहाँ भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होते ही त्रिशूल चढाने आते है | और साथ ही जिन लोगो को संतान नहीं होती वो दम्पति यहाँ जुला चढाने आते है | और खास करके इस मंदिर के दरबार में लकवा ग्रस्त रोगी आकर ठीक हो जाते है |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here