बिना जाने किसी व्यक्ति के बारे में कोई राय नहीं देनी चाहिए | Buddha Moral Story

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gautam buddha moral story in hindi

गौतम बुध्द का एक खास शिष्य धम्माराम आश्रम में अपना काम करता और काम पूरा होने के बाद एकांत में चला जाता था , धम्माराम किसीसे ज्यादा बात चित नहीं करता था |

जब धम्माराम एकांत में ज्यादा रहने लगा तो आश्रम के अन्य शिष्यों को लगा की धम्माराम घमंडी हो गया है | आश्रम के अन्य शिष्यो ने बुद्ध से धम्माराम की शिकायते करनी शुरू कर दी |

एक दिन गौतम बुद्धने धम्माराम से आश्रम के सभी शिष्यों के सामने पूछा | की धम्माराम ” तुम ऐसा क्यों करते हो “? अन्य शिष्यों से अलग क्यों रेहते हो |

धम्माराम ने बुद्ध से कहा : प्रभु आपने तो कहा है की आप कुछ दिनो मे ये संसार छोडने वाले है | तो मैंने ये सोचा की जब आप संसार से चले जायेगे तो हमारे लिए सिखने को क्या रहेगा ?|

इस लिए मैंने ये तेय कर लिया है की जब तक आप है तब तक मे एकांत और मौन को समझ लू और ठीक से सिख लू | ये दो नेक काम मे आपके जीते जी करना चाहता हु |

बुद्ध ने आश्रम के अन्य शिष्यों कहा : तुम सभी ने देखा कुछ और समजा कुछ | तुम्हारी ये आदत है की तुम दुसरो की बुराई करते हो , इसलिए तुम सभी ने धम्माराम की अच्छी बात को गलत रूप मे लिया | जो बीना जाने ठीक नहीं है |

बुद्ध की सिख : हमे किसी भी व्यक्ति को ठीक से जाने बिना उसके बारे मे कोई भी राय नहीं देनी चाहिए |

 

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